सिक्किम प्रवास की अब तक की कड़ियों में आप दक्षिण सिक्किम के नामची एवं रावंगला, पश्चिम सिक्किम के युकसम, राबदंतसे एवं पेलिंग तथा पूर्व सिक्किम के नाथुला दर्रा एवं छांगू झील से रूबरू हो चुके हैं। उत्तर सिक्किम के अलौकिक नजारों को आपके समक्ष प्रस्तुत करने से पहले ये ख्याल आया कि क्यूँ ना गान्तोक के बारे में कुछ लिखा जाए। आख़िरकार सिक्किम की राजधानी होने के अलावा हिल स्टेशन के रूप में भी इसकी अपनी पहचान है। परंपरा एवं आधुनिकता के अद्भुत सम्मिश्रण वाला यह शहर कई कारणों से पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। एक चीज जो गान्तोक को अन्य पर्यटन केन्द्रों से अलग साबित करती है, वो है यहाँ की स्वच्छता। 5500 फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित यह शहर सिक्किम के अन्य क्षेत्रों के भ्रमण के लिए आधार का काम करता है। पर्यटक गान्तोक को अस्थायी ठिकाना बनाकर अमूमन उत्तर सिक्किम और नाथुला दर्रे की यात्रा करते हैं। फिर भी हरेक पर्यटक के यात्रा कार्यक्रम का एक दिन तो गान्तोक के नाम होता ही है। तो आज आपको लिए चलता हूँ गान्तोक की सैर पर जहाँ महात्मा गाँधी मार्ग और होटलों में समय बिताने के अलावा भी बहुत कुछ है करने और देखने को।
ताशी व्यू पॉइंट (Tashi View Point)
गान्तोक घूमना हो तो सबसे पहले आपको गान्तोक से मात्र 5 किमी दूर ताशी व्यू पॉइंट का रुख करना होगा, क्यूंकि सुबह जितनी जल्दी आप वहाँ पहुँचेंगे, कंचनजंघा की दुग्ध धवल चोटियों को सूर्योदय की रौशनी में नहाते देखने की सम्भावना उतनी ही ज्यादा होगी। यकीन मानिए, सुबह का यह अद्भुत नजारा आपके पूरे दिन को खुशनुमा बना देगा।
ताशी व्यू पॉइंट से कंचनजंघा का मनोरम दृश्य (Panoramic Mt. Khangchendzonga as seen from Tashi View Point) |
गणेश टोक एवं इंचे मोनेस्ट्री
सुबह सुबह ऐसा रमणीक दृश्य देखने के बाद अगर पास में ही मंदिर भी हो तो कौन नहीं जाना चाहेगा भला और गणेश टोक है भी प्रसिद्ध मंदिर। करीब 6500 फ़ीट की ऊँचाई पर स्थित यह मंदिर गान्तोक से 7 किमी दूर है और मंदिर होने के साथ ही बहुत अच्छा व्यू पॉइंट भी है। यहाँ से गान्तोक शहर का विहंगम दृश्य (Bird's eye view) देखने को मिलता है, खास तौर पे रात्रि में रौशनी में जगमगाता शहर काफी सुन्दर दिखता है।
गणेश टोक से गान्तोक शहर का दृश्य (View of Gangtok City from Ganesh Tok) |
गणेश टोक से थोड़ी ही दूर लगभग 200 साल पुराना प्रसिद्ध इंचे मोनेस्ट्री है जो सिक्किम के बौद्ध सर्किट का एक अहम हिस्सा है। आप वहाँ भी थोड़ा समय बिता सकते हैं।
इंचे मोनेस्ट्री (Enchey Monastery) |
गणेश टोक के बिलकुल सामने चिड़ियाघर है जिसे बुलबुले जूलॉजिकल पार्क के नाम से जानते हैं। इसका खास आकर्षण है - रेड पांडा, जो सिक्किम का राजकीय पशु है। समय की कमी हो तो पार्क जाना टाला जा सकता है। खैर, आपको रेड पांडा तो दिखला ही दें।
Red Panda in Gangtok Zoo |
चलिए, अभी तो बहुत कुछ देखना बाकी है। चलते हैं एक और मंदिर की ओर।
हनुमान टोक
गणेश टोक से 2-3 किमी आगे हनुमान जी का एक मंदिर है जिसका संरक्षण भारतीय सेना करती है। इस मंदिर से एक किंवदंती यह जुड़ी है कि जब हनुमान भगवान राम के भ्राता लक्ष्मण की प्राणरक्षा हेतु हिमालय से संजीवनी ले कर लौट रहे थे तो उन्होंने इसी जगह पर विश्राम किया था। मंदिर पर्यटकों के बीच बहुत लोकप्रिय है। अगर आप गान्तोक में हैं तो हनुमान जी के दर्शन अवश्य कर लें। अगर आपका भाग्य और मौसम दोनों अच्छे हों तो 7200 फ़ीट की ऊंचाई पर बने इस मंदिर से कंचनजंघा का शानदार दृश्य देखा जा सकता है।
हनुमान टोक (Hanumaan Tok) |
हनुमान टोक से गान्तोक लौटते समय रास्ते में बाख्तांग वाटरफॉल दिखाई पड़ता है जहाँ आप कुछ पल बिता सकते हैं। बरसात के मौसम में वाटरफॉल की रौनक देखते ही बनती है।
बाखतांग वाटरफॉल (Bakhtang Waterfall) |
सरमसा गार्डेन, रानीपूल
गान्तोक से 14 किमी दूर सरमसा गार्डेन काफी बड़े क्षेत्र में फैला है और स्थानीय लोगों के लिए पिकनिक का प्रमुख केंद्र है। 1922 ई. में निर्मित इस उद्यान में वर्ष 2008 से इंटरनेशनल फ्लावर शो आयोजित किया जा रहा है। सामान्यतः फरवरी माह में आयोजित इस शो के समय पूरा उद्यान रंग -बिरंगे फूलों से शोभायमान रहता है। (यह भी पढ़ें - A day in nature's own garden - Flowers of Sikkim ) इसके अलावा भी यह उद्यान कई बड़े कार्यक्रमों की मेजबानी करता रहा है।
सरमसा उद्यान (Saramsa Garden) |
इस उद्यान की एक और खासियत है - बाँस के मोटे मोटे पेड़ और औषधीय गुणों वाले अनेक पौधे। उद्यान में थोड़ा समय बिताया जा सकता है।
सरमसा उद्यान में बांस के पेड़ (Bamboo Trees at Saramsa Garden) |
रूमटेक मोनेस्ट्री
सरमसा से करीब 18 किमी दूर ( गान्तोक से 24 किमी) 1717 ई. में स्थापित यह बौद्ध मठ बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए आस्था का बहुत बड़ा केंद्र होने के साथ ही एक महत्वपूर्ण पर्यटन केंद्र है। सोलहवें करमापा रांगजुंग रिगपे दोरजे ने 1970 के दशक में इस मठ का जीर्णोद्धार कर इसे अपना आसन बनाया , तब से इसे सिक्किम के बौद्ध सर्किट का सबसे अहम हिस्सा माना जाता है। धर्मचक्र केंद्र के नाम से भी प्रचलित इस मठ की सुरक्षा भारतीय सेना के हाथों है।
रूमटेक मोनेस्ट्री (Rumtek Monastery) |
बनजाखरी वाटरफॉल
रूमटेक मोनेस्ट्री से वापस रानीपूल की तरफ आते समय एक और सड़क रे मिन्दु गाँव से होते हुए बनजाखरी वाटरफॉल की ओर चली जाती है। अच्छी बात यह है कि आप इसी सड़क से बनजाखरी वाटरफॉल देखते हुए गान्तोक वापस लौट सकते हैं। इस सड़क पर चलते हुए आपको सामने वाले पहाड़ पर बसा पूरा गान्तोक शहर दिखाई देता है। वाटरफॉल से पहले ही एक और बौद्ध मठ है - रांका मोनेस्ट्री , जो रूमटेक से अपेक्षाकृत छोटा है। कंचनजंघा मनोरंजन पार्क (Amusement Park) भी है जहाँ बच्चों के साथ फुरसत के कुछ पल बिताये जा सकते हैं। चलते हैं बनजाखरी वाटरफॉल, जहाँ झरने की कलकल ध्वनि के साथ एक कहानी भी आपका इंतजार कर रही है। वाटरफॉल के आस पास जाखरी जनजाति के लोगों के विभिन्न मुद्राओं में कई मूर्तियां हैं, जो उनके आदिम काल के जीवन को दर्शाती हैं। यदि आपने गान्तोक में कई रातें बितायी हैं तो संभव है आप जाखरी आदिवासियों के बारे में जानते हों। ये लोग गान्तोक की गलियों में देर रात कोई डरावनी ध्वनि वाला वाद्य यन्त्र बजाते हुए और अपनी अजीब सी भाषा में गाते हुए निकलते हैं। आप चाहे, कितनी भी गहरी नींद में हों, ऐसी बेसुरी और भयानक आवाज़ से आपका जागना तय है। स्थानीय लोग तो बताते हैं कि ये लोग आदमियों के पैर की हड्डी से बने वाद्ययंत्र बजाते हैं। गान्तोक प्रवास के दौरान मैंने भी यह कई बार अनुभव किया है।
बनजाखरी वाटरफॉल (Banjakhri Waterfall) |
जाखरी आदिवासियों की मूर्तियाँ (Statue of Jakhri Tribals) |
ताशिलिंग से देवराली तक रोप वे पर चलने वाला केबल कार भी गान्तोक के प्रमुख आकर्षणों में से एक है। रोप वे से गान्तोक की सुरम्य वादियों का विहंगम दृश्य दिखता है। पर रोप वे सेवा शाम के 4:30 बजे तक ही उपलब्ध है।
Rope way in Gangtok |
एम जी मार्ग, गान्तोक (M G Road, Gangtok) |
रेल द्वारा : गान्तोक का निकटतम रेलवे स्टेशन है - न्यू जलपाईगुड़ी जो गान्तोक से 120 किमी दूर है। टैक्सी से गान्तोक जाने में तकरीबन 4 घंटे लगते हैं।
हवाई जहाज द्वारा : गान्तोक का निकटतम हवाई अड्डा बागडोगरा है जो गान्तोक से 125 किमी दूर है। हवाई अड्डे पर टैक्सी उपलब्ध हो जाता है, अन्यथा वहाँ से सिलीगुड़ी बस स्टैंड आना पड़ता है। बागडोगरा से गान्तोक जाने में तकरीबन 4 घंटे लगते हैं।
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