पिछले पोस्ट में आपने पूर्वी सिक्किम में भारत- चीन सीमा के समीप अवस्थित नाथुला पास और छांगू झील का यात्रा वृत्तांत पढ़ा। सिक्किम प्रवास की अगली कड़ी में मैं अब दक्षिण सिक्किम के दो खूबसूरत पर्यटन केंद्र - नामची और रावंगला का यात्रा वृतांत आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ।
सिक्किम का वो हिस्सा जिसे प्रकृति ने जितना खूबसूरत बनाया है , उतना ही योगदान सिक्किम के लोगों ने उस सुंदरता को अक्षुण्ण बनाये रखने और उसे बढाने में किया है , वो बस एक ही है - दक्षिण सिक्किम। दक्षिण सिक्किम, जिसका मुख्यालय नामची है, ना केवल अपने टेमी चाय के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि बौद्ध और हिन्दू धर्मावलम्बियों के लिए आध्यात्मिक पर्यटन का प्रमुख केंद्र भी है। नामची का निकटतम रेलवे स्टेशन है न्यू जलपाईगुड़ी और निकटतम हवाई अड्डा है बागडोगरा। न्यू जलपाईगुड़ी और बागडोगरा से इसकी दूरी जहाँ लगभग 100 किमी है, वहीँ गान्तोक से 78 किमी। रावंगला और नामची की आपस में दूरी मात्र 25 किमी है। लब्बोलुआब यह कि अगर आप गान्तोक से दक्षिण सिक्किम के इन दो शहरों का भ्रमण करना चाहते हैं तो एक दिन में दोनों जगहों का आनंद ले कर वापस गान्तोक लौट सकते हैं।
दक्षिण सिक्किम की एक खूबी यह भी है कि यह सिक्किम के दूसरे हिस्सों की तुलना में ज्यादा अभिगम्य (accessible) है। रास्ते काफी अच्छे हैं और गान्तोक से नामची की दूरी दो से ढाई घंटे में पूरी की जा सकती है। अब माननीय मुख्यमंत्री जी का गृहनगर होने का कुछ तो लाभ मिलेगा न ! नामची में हेलिपैड भी है और फुटबॉल स्टेडियम भी और जितना सरकारी प्रयास नामची को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने में हुआ जान पड़ता है , उतना अन्यत्र कहीं नहीं।
हमारी घुमक्कड़ टोली ने भी दक्षिण सिक्किम घूमने का निर्णय किया और फिर एक दिन हम सब गान्तोक से अपने ड्राइवर के साथ चल पड़े सिक्किम की सुंदरता के एक नए आयाम का समीप से अवलोकन करने। एक बार फिर हमारी गाड़ी जाने पहचाने रास्ते (NH-31A) पर चल पड़ी और घंटे - पौन घंटे में हम सिंगताम से आगे निकल चुके थे। सिंगताम से एन एच -31 ए को छोड़कर गाड़ी नामची के रास्ते पर बढ़ चली थी और सड़क किनारे लगे मील के पत्थर टेमी चाय बागान (सिक्किम का इकलौता चाय बागान ) के समीप होने का इशारा कर हम सबों की उत्सुकता बढ़ा रहे थे। मौसम भी खुशगवार था और रास्ते भी, मन में बस एक ही आशंका थी की कहीं हमारे टी गार्डेन पहुँचने तक कहीं कंचनजंघा की दुग्ध-धवल चोटियाँ बादलों की चादर न ओढ़ लें। क्यूंकि हमने कंचनजंघा की देदीप्यमान (magnificent) पृष्ठभूमि में टेमी टी गार्डेन की जो अप्रतिम तसवीरें देख रखी थी, उसी को साक्षात देखना चाहते थे। कुछ ही पलों में चाय के पौधे दिखने लगे थे और हम चाय बागान के बीच की घुमावदार सड़क पर बढ़ रहे थे। आख़िरकार हमारी गाड़ी टी गार्डेन के गेस्ट हाउस के पास रुकी और आँखों के सामने जो नजारा था वो मन को मोह लेने वाला था।
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टेमी टी गार्डेन , दक्षिण सिक्किम (Temi Tea Garden, Namchi, South Sikkim) |
टी गार्डन में तो धूप खिली थी, पर कंचनजंघा पर बादल डेरा जमा चुके थे। खैर टी गार्डन में विभिन्न भाव-भंगिमाओं में जम कर तस्वीरें खिंचवाने के बाद हम वहाँ की एक दुकान में चाय का स्वाद लेने पहुँच गए। सोचा टी गार्डन के पास चाय तो अव्वल दर्जे की मिलेगी, पर ये भूल गए कि कुछ कमाल तो चाय बनाने वालों के हाथों का भी होता है। बहरहाल एक कहावत की सत्यता का हमें उस समय बड़ा गहरा एहसास हुआ, वो था -"चिराग तले अँधेरा". खैर मजाक की बात छोड़ें तो सिक्किम की टेमी चाय दुनिया भर में प्रीमियम चाय के रूप में प्रतिष्ठित है। अब समय हो चला था कि हम अगले गंतव्य की ओर चलें, सो हम रावंगला के बुद्धा पार्क , जिसका उद्घाटन कुछ महीने पहले ही तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा जी ने किया था, की ओर प्रस्थान कर गए।
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बुद्धा पार्क , रावंगला , दक्षिण सिक्किम (Tathagat Tsal, Rabong la) |
रावंगला स्थित भगवान बुद्ध की 130 फ़ीट ऊँची यह प्रतिमा उनकी सबसे ऊँची प्रतिमाओं में से एक है। बुद्ध जिस आसन पर विराजमान हैं वह दो मंजिल का पूजा स्थल है और इसकी भीतरी दीवारें उनके जीवनकाल की महत्त्वपूर्ण घटनाओं को दर्शाती कलाकृतियों से सुसज्जित हैं।
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भगवान बुद्ध और मैं (me in the august company of Lord Buddha) |
बुद्धा पार्क में आधा घंटा बिताने के बाद हम नामची के सबसे प्रसिद्ध धार्मिक पर्यटन केंद्र सिद्धेश्वर धाम पहुँचे। इसे चार धाम के नाम से भी जानते हैं। वो इसलिए कि यहाँ पर चारों धामों और बारहों ज्योतिर्लिंगों की प्रतिकृति (Replica) का निर्माण किया गया है। जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी द्वारा उदघाटित इस धार्मिक पर्यटन केंद्र को भारत सरकार की ओर से वर्ष 2010-11 का सबसे अभिनव और अद्वितीय पर्यटन परियोजना (Most Innovative and Unique Tourism Project) का पुरस्कार प्राप्त हो चुका है।
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सिद्धेश्वर धाम, नामची (Siddheshwar Dham, Namchi) |
भगवान शिव की 108 फ़ीट ऊंची यह प्रतिमा बारहों ज्योतिर्लिंगों और चारों धामों के मध्य अवस्थित है। पौराणिक कहानियों के अनुसार, देवी सती के यज्ञ कुण्ड में भस्म हो जाने के बाद भगवान शिव संसार से पूरी तरह विरक्त हो चुके थे एवं सिक्किम के जंगलों में शिकारी के रूप में रहने लगे थे। इसीलिये शिव की इस प्रतिमा को किरातेश्वर महादेव (Hunter incarnation of Lord Shiva) के नाम से भी जानते हैं। धाम में यात्री निवास की भी सुविधा है, जहाँ 90 यात्रियों के ठहरने की सुविधा है।
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क्यूँ , है न बद्रीनाथ धाम की हूबहू नक़ल ? (Badrinath Dham) |
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ये लो जी , जगन्नाथ धाम भी देख लो (Replica of Jagannath Dham) |
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रामेश्वरम धाम भी देख ही लें (Replica of Raameshwaram Dham) |
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जहाँ सब देवतागण अपना अपना डेरा जमा रहे हैं , वहाँ साईं बाबा भला क्यूँ ना हों ! (Sai Baba Temple) |
सिद्धेश्वर धाम से थोड़ी ही दूरी पर साईं बाबा का यह भव्य मंदिर भी हमें देखने को मिला और शीश नवाने को हमारे कदम स्वयं ही बढ़ चले। समस्त देवी - देवताओं की पूजा अर्चना के बाद हम अपने सफर के अंतिम पड़ाव सामदृप्तसे (Samdruptse) यानि बौद्ध गुरु पद्मसम्भव (गुरु पद्मसम्भव को गुरु रिनपोछे के नाम से भी जाना जाता है।) को नमन करने चल पड़े, जिन्हें ना सिर्फ नामची का, बल्कि समूचे सिक्किम का रक्षक और इष्टदेव (Presiding Deity) माना जाता है। सामदृप्तसे पहाड़ी पर स्थित गुरु पद्मसम्भव की 118 फ़ीट ऊंची ये प्रतिमा दुनिया में उनकी सबसे ऊँची प्रतिमा है। ऐसी मान्यता है कि सामदृप्तसे पहाड़ी वास्तव में एक निष्क्रिय ज्वालामुखी है, जिसे शांत रखने केलिए बौद्ध सन्यासी पहाड़ी की चोटी पर जा कर ज्वालामुखी की पूजा करते हैं। गुरु पद्मसम्भव और भगवान शिव की प्रतिमाऐं दो अलग पहाड़ियों पर आमने -सामने स्थित हैं , मानो आपस में गुफ्तगू कर रहे हों।
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Statue of Guru Padmasambhav or Rinpoche atop Samdruptse hill, Namchi |
गुरु पद्मसम्भव से संक्षिप्त मुलाक़ात के बाद हम वापस गान्तोक की राह चल पड़े , एक बार फिर टेमी टी गार्डन से होते हुए।
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Bahut hi badhiya blog! You use your pictures very effectively.
ReplyDeleteThanks Sumit for liking the post!
ReplyDeleteI have visited sikkim, but didn't know much about namchi. i would love to visit the place. lovely post. Keep it up!
ReplyDeleteThanks Deepak! Glad to know that you liked my post.
DeleteSikkim is increasingly becoming popular as a tourist place. Your posts on Sikkim will help the state to attract more tourists. Good Work. you should write more.
ReplyDeleteThank you Sushant for your encouraging words!
ReplyDeleteआपके इस सुंदर यात्रा वृतांत से मेरी सिक्किम यात्रा पूर्ण हुई.
ReplyDeleteधन्यवाद राकेश जी! जान कर ख़ुशी हुई कि आपको मेरा यात्रा वृत्तांत अच्छा लगा।
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